अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे साधु बनकर जूना अखाड़ा में शामिल, घोषित किया गया मठों का उत्तराधिकारी

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Prakash Pandey: आजीवन कारावास की सजा काट रहा अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे साधु बनकर जूना अखाड़ा में शामिल हो गया है. प्रकाश पांडे अल्मोड़ा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. उसका नाम बदलकर ‘प्रकाश नंद गिरि’ रख दिया गया है. अल्मोडा जेल में बंद प्रकाश पांडे का आध्यात्मिक परिवर्तन सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है.

क्राइम वर्ल्ड में ‘पीपी’ के नाम से फेमस अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे अब साधु बन गया है. जूना अखाड़ा ने उसे साधु के रूप में शामिल कर लिया है. इसके लिए बकायदा जूना अखाड़ा के संतों ने करीब 25 मिनट तक दीक्षा कार्यक्रम किया. प्रकाश पांडे को उत्तराखंड की अल्मोड़ा जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और वह जबरन वसूली, डकैती और हत्या के कई लंबित मामलों का सामना कर रहा है. जूना अखाड़ा में शामिल होने के बाद प्रकाश पांडे को अब उसे ‘प्रकाश नंद गिरी’ के नाम से जाना जाएगा. हालांकि, जेल अधिकारियों ने इस मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है.

करीब 25 मिनट तक चली इस दीक्षा को कथित तौर पर जूना अखाड़ा संप्रदाय के कम से कम तीन वरिष्ठ संतों ने गुरुवार को जेल परिसर के अंदर संपन्न कराया. इससे सवाल उठता है कि एक कुख्यात अपराधी को इस तरह के समारोह में शामिल होने की अनुमति कैसे दी गई? जेल में पांडे को उत्तराधिकारी घोषित किया गया और उन्हें कंठी माला, रुद्राक्ष माला और भगवा वस्त्र प्रदान किए गए.

अल्मोड़ा जेल के सुपरिटेंडेंट ने क्या कहा?

समारोह से खुद को अलग करते हुए अल्मोड़ा जेल सुपरिटेंडेंट जयंत पांगती ने शुक्रवार को कहा कि कुछ धार्मिक लोग जेल आए और उन्होंने प्रकाश पांडे से मिलने की अनुमति मांगी. उनमें से तीन को अंदर जाने की अनुमति दी गई. ऐसा लगता है कि उन्होंने उसके साथ कुछ समय बिताया और अंदर उन्होंने धर्म के बारे में जो भी चर्चा की वह उनका निजी मामला है. जेल प्रशासन की इसमें कोई संलिप्तता नहीं थी और हमें उनके दावों से कोई सरोकार नहीं है.

वहीं, डीआईजी (कारावास) दधिराम मौर्य ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया से इस घटना के बारे में पता चला. उन्होंने कहा कि जेल सुपरिटेंडेंट ने हमें ऐसी किसी घटना की रिपोर्ट नहीं भेजी. लेकिन, हमने यह पता लगाने के लिए इंटरनल इन्विस्टिगेशन शुरू कर दी है कि वास्तव में क्या हुआ था? जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

दीक्षा अनुष्ठान का दावा करने वाले संत ने क्या कहा?

जेल में ‘अनुष्ठान’ के बाद, जूना अखाड़े से होने का दावा करने वाले और कार्यक्रम में मौजूद राजेंद्र गिरि ने कहा कि प्रकाश नंद गिरि ने अपने आपराधिक अतीत को त्यागने और धर्म की ओर मुड़ने की इच्छा व्यक्त की थी. उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग अपनाने की इच्छा जताई और हमने उनकी इच्छा का सम्मान किया.

गिरि ने कहा कि अगले साल प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले में, उन्हें आगे के अनुष्ठानों से गुजरना होगा, जिसमें अखाड़ा परंपरा में प्रतिष्ठित पद ‘मंडलेश्वर’ की औपचारिक उपाधि भी शामिल है. अगर वह इस आध्यात्मिक मार्ग पर चलते रहेंगे, तो यह उन लोगों को भी प्रेरित कर सकता है, जिनका अतीत परेशानियों से भरा हुआ है. संतों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि वे हरिद्वार जूना अखाड़े से आए हैं.

हालांकि, हरिद्वार में जूना अखाड़े के सीनियर पदाधिकारी हर गिरि ने कहा कि मामले की जांच के लिए जूना अखाड़े के सेवानिवृत्त और वर्तमान पदाधिकारियों की एक समिति गठित की गई है. इसमें यह भी चर्चा की जाएगी कि किसने किसे मठ का प्रमुख बनाया… अगर कोई व्यक्ति संन्यास लेना चाहता है या सनातन धर्म का पालन करना चाहता है, तो हम उसे रोक नहीं सकते. हम किसी कानून या अदालती नियमों का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं.

प्रकाश पांडे को घोषित किया गया मठों का उत्तराधिकारी

आपराधिक पृष्ठभूमि के बावजूद 50 साल के प्रकाश पांडे को मुनस्यारी में कामद और गंगोलीहाट में लमकेश्वर समेत कुछ ‘मठों’ का उत्तराधिकारी घोषित किया गया है. पांडे उर्फ बंटी, 1990 के दशक में अंडरवर्ल्ड में एक खौफनाक नाम हुआ करता था. वो उत्तराखंड के सबसे वांटेड क्रिमिनल्स में से एक था. पिछले कुछ वर्षों में, वो बॉलीवुड हस्तियों और राजनेताओं से जबरन वसूली समेत कई अपराधों में शामिल रहा है.

2010 में वियतनाम में बंद पांडे राज्य भर की विभिन्न जेलों में आता-जाता रहा है. अल्मोड़ा जेल में, वह धार्मिक गतिविधियों में तेजी से शामिल होने लगा. रिपोर्टों के अनुसार, इस साल की के शुरुआत में नेपाल के एक धार्मिक नेता आचार्य दंडीनाथ ने भी उन्हें ‘नाथ’ संप्रदाय में दीक्षित किया और उनका नाम ‘योगी प्रकाश नाथ’ रखा.

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