कंटेंट मार्केटिंग कंपनी की CEO अनुराधा तिवारी के एक सोशल मीडिया पोस्ट पर हंगामा बरपा है. देश के मशहूर लेखक चेतन भगत भी इस विवाद में कूद पड़े हैं. अनुराधा ने एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तस्वीर पोस्ट की जिसके कैप्शन में लिखा था, ‘ब्राह्मण जींस.’ लोगों का ये कमेंट उन्हें रास नहीं आया है.
कंटेंट मार्केटिंग कंपनी की CEO अनुराधा तिवारी ने एक ट्वीट क्या किया, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लोगों में जुबानी जंग छिड़ पड़ी है. अब इस विवाद में मशहूर लेखक चेतन भगत कूद पड़े हैं. चेतन भगत ने कहा कि जाति का मुद्दा हिंदू वोटों को विभाजित कर रहा है. इस मुद्दे का इस्तेमाल विपक्ष अपने फायदे के लिए कर रहा है. चेतन भगत, जस्ट बर्स्ट आउट की CEO अनुराधा तिवारी के एक ट्वीट पर भड़के बवाल के बारे में बोल रहे थे.
क्या है #BrahminGenes पर भड़का विवाद?
अनुराधा तिवारी ने अपनी मसल्स दिखाते हुए अपनी एक तस्वीर शेयर की थी. उन्होंने तस्वीर के कैप्शन में लिखा था, ‘ब्राह्मण जीन.’ सोशल मीडिया पर यह पोस्ट, सोशल मीडिया पर देखते ही देखते वायरल हो गया है. इस विवाद में कई सितारे कूद पड़े हैं. सोशल मीडिया पर कुछ लोग CEO को जातिवादी बताने लगे, वहीं कुछ लोगों ने #BrahminGenes कैप्शन के साथ खुद भी समर्थन में लिखने लगे.
चेतन भगत ने ऐसा क्या कह दिया?
चेतन भगत ने कहा कि जाति का मुद्दा उठाने के बाद हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण टूट जाता है. उन्होंने X पर पोस्ट किया, ‘जितना ज्यादा जाति का मुद्दा उठाया जाता है, उतना ही ज्यादा हिंदू वोटों का एकीकरण टूटता है. विपक्ष को यह बात समझ में आ गई है और यही खेल, खेला जा रहा है. हां, #BrahminGenes ट्रेंड भी हिंदू वोटों को विभाजित कर रहा है. पता नहीं लोगों को इसका एहसास है या नहीं.’
क्या है हंगामे की वजह?
अनुराधा तिवारी के इस पोस्ट पर सोशल मीडिया में ही अलग-अलग गुट आपस में बंट गए. बीजेपी और विपक्षी दलों के समर्थकों में जंग छिड़ गई. कुछ लोगों ने इसे विभाजनकारी बता दिया. एक यूजर ने लिखा कि विपक्ष, ब्राह्मणों से नफरत की राजनीति का इस्तेमाल करके, हिंदू वोटों को तोड़ने की साजिश रचता है.
एक यूजर ने लिखा, ‘ऐसे विचारों को बढ़ावा देना गलत है लेकिन ये सही कह रहे हैं. आप ऐसी बकवास करके, पिछड़ी जातियों को और अभी अलग-थलग कर रहे हैं.’ एक शख्स ने लिखा, ‘#BhraminGenes करने वाले बहुसंख्यक लोग बीजेपी के मूल वोटर हैं. विपक्ष को दोष देना बंद करें, यह उनकी मानसिकता है, जो सामने आ रही है.
एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘धर्म या जाति आधारित विभाजन पर कोई ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए. इससे सिर्फ एकता कमजोर होती है और जरूरी मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकता है. इसकी वजह से पूरे देश के लिए जरूरी वास्तविक मुद्दों से लोग कटते हैं. हमें सही राजनीतिक विमर्श की कोशिश करनी चाहिए, जो सबके साथ और सबकी प्रगति पर जोर दें. विभाजनकारी बयानों को आगे नहीं बढ़ने देना चाहिए.
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