माइक्रोप्लास्टिक्स पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है क्योंकि यह स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है. प्लास्टिक के ये बेहद सूक्ष्ण कण भोजन, पानी और हवा के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. रिसर्च में ये माइक्रोप्लास्टिक्स इंसान के फेफड़ों, हृदय, मां के दूध और अजन्मे बच्चे में भी पाए गए.
Delhi News: पर्यावरण अनुसंधान संगठन ‘टॉक्सिक्स लिंक’ की एक रिपोर्ट आपके होश उड़ा सकती है. टॉक्सिक्स लिंक की हालिया स्टडी में पता चला है कि भारत के सभी नमक और चीनी ब्रांडों में चाहे वे बड़े हों या छोटे, पैक्ड हों या अनपैक्ड सभी में माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद होते हैं.
टॉक्सिक्स लिंक ने की 10 प्रकार के नमक की जांच
मंगलवार को प्रकाशित हुई इस स्टडी के अनुसार, टॉक्सिक्स लिंक ने 10 प्रकार के नमक की जांच की जिसमें टेबल नमक, सेंधा नमक, समुद्री नमक और स्थानीय कच्चा नमक शामिल है. इसके अलावा संगठन ने लोकल मार्केट और ऑनलाइन मार्केट से खरीदी गई पांच प्रकार की चीनी का अध्ययन किया.
आयोडीन युक्त नमक में सबसे अधिक माइक्रोप्लास्टिक
अध्ययन में नमक और चीनी के सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी का पता चला जो फाइबर, छर्रे, फिल्म और टुकड़ों सहित विभिन्न रूपों में मौजूद थे. इन माइक्रोप्लास्टिक का आकार 0.1 मिमी से लेकर 5 मिमी तक था. आयोडीन युक्त नमक में विभिन्न रंगों के पतले रेशों और फिल्म के रूप में माइक्रोप्लास्टिक की सबसे अधिक मात्रा पाई गई.
टॉक्सिक्स लिंक के फाउंडर-डायरेक्टर रवि अग्रवाल ने कहा कि इस अध्ययन के पीछे हमारा उद्देश्य रिसर्चरों का ध्यान आकर्षित करना है जो तकनीकी हस्तक्षेप से माइक्रोप्लास्टिक के रिस्क को कम कर सकते हैं.
यह बेहद चिंताजनक
वहीं कंपनी के एसोसिएट डायरेक्टर सतीश सिन्हा ने कहा, ‘हमारे अध्ययन में सभी नमक और चीनी के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक्स की पर्याप्त मात्रा का पता लगना चिंताजनक है और अब मानव स्वास्थ्य पर माइक्रोप्लास्टिक्स के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में तत्काल और व्यापक शोध करने की जरूरत है.’ रिपोर्ट के मुताबिक, नमक के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक्स की मिलावट सूखे वजन में 6.71 से 89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक थी.
कार्बनिक सेंधा नमक में सबसे कम माइक्रोप्लास्टिक्स
आयोडीन नमक में माइक्रोप्लास्टिक की मिलावट सबसे ज्यादा (89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम) थी, जबकि कार्बनिक सेंधा नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा सबसे कम (6.70 प्रति किलोग्राम) थी. वहीं चीनी के सैंपलों में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक थी. अकार्बनिक चीनी में माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा सबसे अधिक पाई गई.
अजन्मे बच्चे में भी मिली माइक्रोप्लास्टिक्स
बता दें की माइक्रोप्लास्टिक्स पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है क्योंकि यह स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है. प्लास्टिक के ये बेहद सूक्ष्ण कण भोजन, पानी और हवा के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. रिसर्च में ये माइक्रोप्लास्टिक्स इंसान के फेफड़ों, हृदय, मां के दूध और अजन्मे बच्चे में भी पाए गए.
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