उत्तर प्रदेश में रंगों पर सियासत छिड़ गई है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को एक जनसभा में कहा था कि लाल टोपी के कारनामे काले हैं. लाल टोपी वाले अराजकता फैलने की कोशिश एक भी जाया नहीं होने देते हैं. अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीएम योगी के इस जवाब का सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर जवाब दिया है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी ‘लाल टोपी’ के बहाने समाजवादी पार्टी पर हमलावर हैं. उन्होंने गुरुवार को एक सीसामऊ में एक जनसभा के दौरान सभा में कहा था कि लाल टोपी वालों के कारनामे काले हैं. उन्होंने कन्नौज, अयोध्या और लखनऊ कांड का जिक्र करते हुए समाजावादी पार्टी को घेरने की कोशिश की थी. उन्होंने कन्नौज और अयोध्या के रेप कांड और लखनऊ में छेड़छाड़ से जुड़े एक वीडियो के वायरल होने को लेकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर निशाना साधा था. अब सपा के मुखिया ने ‘लाल टोपी’ के बचाव में उतरकर सीएम योगी पर तंज कसा है.
अखिलेश यादव ने सवाल जवाब के फॉर्मेट में सीएम योगी पर ऐसे अंदाज में तंज कसा है, जिसे पहली नजर में कोई समझ ही नहीं पाए. उन्होंने रंगों का संदर्भ देकर, ऐसे बयानों पर घेरने की कोशिश की है. अखिलेश यादव ने जनता की संसद का प्रश्नकाल शीर्षक से पोस्ट लिखकर, घेरा है. उन्होंने लाल रंग को मिलन का प्रतीक बताते हुए कहा है कि जिनके जीवन में प्रेम नहीं होता है, उन्हें लाल रंग से नफरत होती है. अखिलेश यादव ने हर रंग का मनोविज्ञान समझाया है.
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म X पर एक सवाल लिखा, ‘लाल और काले रंग को देखकर भड़कने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? दो-दो बिंदुओं में अंकित करें.’ अखिलेश यादव ने खुद ही इसका जवाब देते हुए लिखा, ‘रंगों का मन-मानस और मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है. यदि कोई रंग किसी को विशेष रूप से प्रिय लगता है तो इसके विशेष मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और यदि किसी रंग को देखकर कोई भड़कता है तो उसके भी कुछ नकारात्मक मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं. प्रश्नगत ‘लाल’ और ‘काले’ रंग के संदर्भ में क्रमवार, इसके कारण निम्नवत हो सकते हैं.’
‘जिन्हें प्यार से नफरत, उन्हें लाल से भी…’
अखिलेश यादव ने लिखा, ‘लाल रंग मिलन का प्रतीक होता है. जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है वो अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं. लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसीलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है वो लाल रंग को चुनौती मानते हैं. इसी संदर्भ में ये मनोवैज्ञानिक-मिथक भी प्रचलित हो चला कि इसी कारण शक्तिशाली सांड भी लाल रंग देखकर भड़कता है.’
‘जिनके जीवन में ममता नहीं, उन्हें काले से नफरत…’
अखिलेश यादव ने सीएम योगी के ‘काले कारनामों’ वाले बयान पर घेरते हुए कहा, ‘काला रंग भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है. जैसे बुरी नजर से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जानेवाला काला टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का प्रयोग, जिनके जीवन में ममत्व या सौभाग्य तत्व का अभाव होता है, मनोवैज्ञानिक रूप से वो काले रंग के प्रति दुर्भावना पाल लेते हैं.’
‘डरपोकों के सिर पर काली टोपी…’
अखिलेश यादव ने काले रंग के बहाने सीएम योगी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर तंज कसते हुए कहा, ‘पश्चिम में काला रंग नकारात्मक शक्तियों और राजनीति का प्रतीक रहा जैसे तानाशाही फासीवादियों की काली टोपी. मानवता और सहृदयता विरोधी फासीवादी विचारधारा जब अन्य देशों में पहुंची तो उसके सिर पर भी काली टोपी ही रही. नकारात्मकता और निराशा का रंग भी काला ही माना गया है. अत: जिनकी राजनीतिक सोच डर और अविश्वास जैसे काले-विचारों से फलती-फूलती है, वो इसे सिर पर लिए घूमते हैं.’ मालूम हो कि संघ के गणवेश में काली टोपी भी है.
काला रंग और लालिमा… गजब सियासत खेले अखिलेश!
अखिलेश यादव ने लिखा, ‘सच तो ये है कि हर रंग प्रकृति से ही प्राप्त होता है और सकारात्मक लोग किसी भी रंग को नकारात्मक नहीं मानते हैं. रंगों के प्रति सकारात्मक विविधता की जगह; जो लोग नकारात्मक विघटन-विभाजन की दृष्टि रखते हैं, उनके प्रति भी बहुंरगी सद्भाव रखना चाहिए क्योंकि ये उनका नहीं, उनकी प्रभुत्ववादी एकरंगी संकीर्ण सोच का कुपरिणाम है. ऐसे लोगों के मन-हृदय को परिवर्तित करने के लिए बस इतना समझाना होगा कि काले रंग की अंधेरी रात के बाद ही लालिमा ली हुई सुबह का महत्व होता है, ये पारस्परिक रंग-संबंध ही जीवन में आशा और उत्साह का संचार करता है. अच्छा-बुरा कोई रंग नहीं; नजरिया होता है.’