Ransomware Attack: आपने कई बार रैनसमवेयर के बारे में सुना होगा. अगर नहीं सुना है तो आज हम आपको यहां इसके बारे में बता रहे हैं. रैनसमवेयर क्या होता है और कितने तरह का होता है, ये हम आपको यहां बता रहे हैं. इस तरह के अटैक में लोगों से फिरौती की मांगी की जाती है.
Ransomware Attack: हम सभी पिछले काफी समय से रैनसमवेयर अटैक के बारे में सुनते आए हैं. ये किडनैपिंग की तरह होते हैं. जिस तरह से लोगों को किडनैप कर फिरौती मांगी जाती है ठीक उसी तरह से रैनसमवेयर में लोगों का निजी डाटा ब्लॉक कर दिया जाता है और फिर उसका दोबारा एक्सेस देने के लिए पैसे मांगे जाते हैं. अगर आपको अभी तक इसके बारे में नहीं पता है तो आज हम आपको बताएंगे कि रैनसमवेयर अटैक क्या होता है और ये कितने तरह के होते हैं.
रैनसमवेयर एक तरह का मैलवेयर है जो डाटा या कंप्यूटर सिस्टम को ब्लॉक करने की धमकी देता है या फिर ब्लॉक कर देता है. आमतौर पर इसे एन्क्रिप्ट कर दिया जाता है. जब तक व्यक्ति हैकर को फिरौती के पैसे नहीं दे देता है तब तक वो एक्सेस वापस नहीं देते हैं. कई मामलों में, फिरौती की मांग के लिए एक डेडलाइन सेट कर दी जाती है. अगर पीड़ित इस दौरान पेमेंट नहीं करता है तो डाटा हमेशा के लिए खो सकता है. इस तरह के मामलों में फिरौती की मांग ज्यादा भी की जा सकती है.
कितने तरह के होते हैं रैनसमवेयर:
स्केयरवेयर: रैनसमवेयर का यह तरीका फेक वार्निंग देता है. इसमें दावा किया जाता है कि व्यक्ति के कंप्यूटर पर मैलवेयर का पता चला है. ये अटैक अक्सर एंटीवायरस सॉल्यूशन के तौर पर होते हैं जो मैलवेयर न होने पर उन्हें हटाने के लिए पैसे मांगते हैं.
स्क्रीन लॉकर: ये प्रोग्राम व्यक्ति को उनके कंप्यूटर का एक्सेस छीनने के लिए डिजाइन किए गए हैं. इस तरह के अटैक में व्यक्ति को उनकी किसी भी फाइल या डाटा तक पहुंचने से रोका जा सकता है. आम तौर पर कंप्यूटर पर एक मैसेज दिखता है जो इसे अनलॉक करने के लिए पैसे की मांग करता है.
एन्क्रिप्टिंग रैनसमवेयर: इसे क्रिप्टो-रैंसमवेयर भी कहा जाता है. यह नॉर्मल रैनसमवेयर है जो व्यक्ति की फाइलों को एन्क्रिप्ट करता है और डिक्रिप्शन की के बदले में पैसे मांगता है.
DDoS एक्सटॉर्शन: इसमें व्यक्ति को यह धमकी दी जाती है कि उनकी वेबसाइट या नेटवर्क पर DDoS अटैक कर दिया जाएगा. ऐसा न करने के लिए पैसों की मांग की जाती है.
मोबाइल रैनसमवेयर: जैसा कि नाम से पता चलता है, मोबाइल रैनसमवेयर स्मार्टफोन और टैबलेट जैसी डिवाइसेज को टारगेट करता है और डिवाइस को अनलॉक करने या डाटा को डिक्रिप्ट करने के लिए पैसों की मांग करता है.
डॉक्सवेयर: इस तरह के रैनसमवेयर से व्यक्ति के कंप्यूटर से सेंसिटिव और प्राइवेट जानकारी कहीं पब्लिश करने की धमकी दी जाती है. ऐसा होने से रोकने के लिए फिरौती की मांग की जाती है.
रैनसमवेयर-एज-ए-सर्विस (RaaS): साइबर अटैकर दूसरे हैकर्स को लोगों के सिस्टम पर अटैक करने के लिए रैनसमवेयर प्रोग्राम ऑफर करते हैं.