विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे हरियाणा कांग्रेस के सांसद? पढ़ें पूरी खबर

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Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा कांग्रेस के सांसद, विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. हरियाणा के AICC प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा है कि पार्टी चाहती है कि सांसद चुनाव लड़ने पर नहीं बल्कि चुनाव प्रचार पर ध्यान दें. उन्होंने कहा कि पार्टी चाहती है कि उनके लोकसभा और राज्यसभा के सांसद हरियाणा में एक अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में लड़ने के बजाए चुनाव प्रचार पर ध्यान दें.

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने का सपना देख रहे कांग्रेस सांसदों को जोर का झटका लगा है. पार्टी की ओर से बुधवार को साफ कर दिया गया कि किसी भी सांसद को विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी. हरियाणा के AICC प्रभारी दीपक बाबरिया ने ये बातें कही. उनका ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा और राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. बाबरिया ने कहा कि पार्टी चाहती है कि सांसद हरियाणा में चुनाव प्रचार पर ध्यान दें न कि राज्य में चुनाव लड़ने पर.

बाबरिया ने हरियाणा चुनाव लड़ने के लिए किसी भी सांसद से कोई संकेत मिलने की बात से भी इनकार किया. बाबरिया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि किसी भी सांसद ने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं जताई है. चुनाव लड़ने के लिए उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष और हाईकमान से अनुमति लेनी होगी और जो सोच उभर रही है, वो ये है कि किसी को भी अनुमति नहीं दी जाएगी.

क्या कांग्रेस के जीतने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा बनेंगे मुख्यमंत्री?

इस साल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने हरियाणा की 10 में से पांच सीटें जीती थीं. सांसद चुने गए लोगों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा भी शामिल हैं. दीपेंद्र को हरियाणा कांग्रेस के कई नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के स्वाभाविक उत्तराधिकारी के रूप में देखते हैं. भूपेंद्र हुड्डा ने खुद हाल ही में ये स्पष्ट किया था कि वे न तो थके हैं, न ही रिटायर्ड हैं, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने के बाद वे मुख्यमंत्री बनेंगे, तो उन्होंने गेंद पार्टी हाईकमान के पाले में डाल दी.

दूसरी ओर, भूपेंद्र सिंह हुड्डा की धुर विरोधी मानी जाने वाली शैलजा ने पहले ही विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की है. पार्टी के जीतने पर मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की है. वे कहती रही हैं कि वे राज्य में काम करना चाहती हैं क्योंकि इससे एक नेता को उन लोगों की सेवा करने का अवसर मिलता है, जिन्होंने उन्हें चुना है और वे उनके मुद्दों को हल करने में सक्षम होते हैं.

सैलजा ने कहा था- विधानसभा में काम करने की जरूरत है

पांच बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्यसभा सदस्य रहीं शैलजा ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले भी मैंने कहा था कि मेरे पास पार्टी के लिए विभिन्न मंचों पर काम करने का अनुभव है और मुझे लगता है कि मुझे हरियाणा विधानसभा में काम करने की जरूरत है. मैंने पार्टी हाईकमान के सामने अपनी इच्छा जाहिर की है. इसे स्वीकार करना या नकारना उन पर निर्भर है. मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, मैं उसे निभाऊंगी.

हालांकि, बाबरिया ने कहा कि जब किसी सांसद का दावा आता है तो स्क्रीनिंग कमेटी का दृष्टिकोण ये होता है कि उन्हें चुनाव लड़ने के बजाय प्रचार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इस बीच, सत्तारूढ़ भाजपा ने कांग्रेस को चुनौती दी है कि वे शैलजा को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करे.

हरियाणा भाजपा ने एक्स पर पोस्ट किया और लिखा कि भाजपा ने पिछड़े वर्ग से एक मुख्यमंत्री (नायब सिंह सैनी) को पहले ही नॉमिनेट कर दिया है. राहुल गांधी एससी समुदाय का पुरजोर समर्थन करने का दावा करते हैं. उन्हें (कांग्रेस) शैलजा को हरियाणा से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए, ताकि पता चल सके कि वे (एससी) समुदाय के कितने हितैषी हैं.

भाजपा की मांग पर हरियाणा कांग्रेस चीफ ने किया पलटवार

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा को अपनी स्थिति की चिंता करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस कभी भी सीएम का चेहरा घोषित करके चुनाव नहीं लड़ती. उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बाद पार्टी हाईकमान फैसला लेता है. 

भाजपा की ओर से ओबीसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पंजाब और महाराष्ट्र में दलित समुदाय के नेताओं को मुख्यमंत्री घोषित किया था. भाजपा को लोगों को यह भी बताना चाहिए कि उन्होंने अनुसूचित जाति समुदाय से किसको मुख्यमंत्री बनाया है? क्या भाजपा ने राजस्थान में भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़ा था? क्या उन्होंने हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़ा था? इस पद के साथ भाजपा ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है. यही कारण है कि वे 1 अक्टूबर को मतदान की तिथि के आसपास पड़ने वाली छुट्टियों का बहाना बना रहे हैं और चुनाव आयोग को चुनाव टालने के लिए लिख रहे हैं.

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