बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में 20 साल से फरार मृत अपराधी वी चलपति राव को आखिरकार CBI ने गिरफ्तार कर लिया है. सीबीआई ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि वी चलपति राव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी पहचान को कहां और कितनी बार बदली. आरोपी 2004 से लापता था. इस धोखाधड़ी मामले में उसकी पत्नी भी आरोपी है.

केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) को देश के सबसे ताकतवर ब्यूरो में गिनती होती है लेकिन एक अपराधी ने इन्हें में चरकमा दे दिया वो भी एक महीना या हफ्ते भर के लिए नहीं बल्कि 20 सालों के लिए. आरोपी पुलिस और सीबीआई को धोखा देता रहा. दरअसल सीबीआई ने बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में 20 साल से फरार मृत अपराधी वी. चलपति राव को गिरफ्तार किया है. इस ठग के यहां के अदालत ने कुछ साल पहले मरा हुआ भी घोषित कर दिया था. सीबीआई ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि वी. चलपति राव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी पहचान को कहां और कितनी बार बदली.

मई 2002 में सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ बैंक के साथ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में मामला दर्ज किया था. उस समय वह हैदराबाद में भारतीय स्टेट बैंक की चंदूलाल बिरादरी शाखा में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम कर रहा था.

‘मरे’ शख्स को CBI ने जिंदा दबोचा

सीबीआई ने 31 दिसंबर 2004 में दो आरोप पत्र दाखिल किया था. आरोपी 2004 से लापता था. धोखाधड़ी मामले में उसकी पत्नी भी आरोपी है. उसने हैदराबाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. इस दौरान उसने पति राव के कथित तौर पर लापता होने के सात साल बाद उसे मृत घोषित करने के लिए दीवानी अदालत का भी रुख किया था. इसके बाद हैदराबाद के दीवानी अदालत में उसे मृत घोषित करने का आदेश दिया था.

हालांकि इस दौरान आरोपी बार-बार अपनी जगह, मोबाइल नंबर और पहचान बदलता रहा लेकिन वह इस दौरान सीबीआई की ताकत का उसे विशेष अंदाजा नहीं था. CBI सूचना मिलते ही आरोपी का पीछा करने लगी और आखिरकार उसे तमिलनाडु के गांव से दबोच लिया. 

कैसे पकड़ा गया आरोपी?

सीबीआई द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी सलेम भाग रहा. वहां उसने एम. विनीत कुमार बनकर 2007 में एक महिला से शादी कर ली और आधार नंबर भी हासिल कर लिया.जांच में पता चला कि आरोपी की दूसरी बीवी जिससे उसने फरार होने के बाद शादी की. उसने CBI को बताया कि आरोपी पहली पत्नी और बेटे के संपर्क में है.हालांकि इस दौरान वह बिना बताए सलेम चला गया. वह भोपाल में एक लोन रिकवरी एजेंट के तौर पर काम करने लगा और फिर उत्तराखंड के रुद्रपुर के एक स्कूल में काम करने लगा.

लुक्का छिप्पी का खेल खत्म

जब सीबीआई उत्तराखंड पहुंचे तो आरोपी यहां से भी फरार हो गया और औरंगाबाद के वेरुल गांव में एक आश्रम में रहने लगा. साल 2021 में उसने आश्रम से करीब 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी की और वहां से फरार हो गया. लुक्का छिप्पी का खेल आखिरकार चार अगस्त को खत्म हो गया. सीबीआई ने तिरुनेलवेली के नरसिंगनल्लूर गांव से उसे गिरफ्तार कर लिया. यहां उसे एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया है जहां उसे 16 अगस्त तक के लिए रिमांड पर भेजा गया है.

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