जियें तो सदा इसी के लिए यही अभिमान रहे यह हर्ष, निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष

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Happy independence day 2024: दुनिया को के कई देशों में ट्रावेल कर चुके मूल मुंबई, ठाणे के Mansoorali Shahibole कहते हैं कि,”एक भारतीय होने के नाते अपने आप को धन्य समझता हूं कि मेरा जन्म पावन धरती पर हुआ। इस धरती की संस्कृति दुनिया की सबसे महान संस्कृति है,‌जो एक इंसान को जीने का सर्वोत्तम तरीका सिखाती है ।“

ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू, मैं जहाँ रहूँ जहाँ में याद रहे तू

Consolidated Contactors Company LLC (Oman) मैं हेल्थ एंड सेफ्टी एडवाइजर के तौर पर काम करने वाले मनसूर अली ने खास बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने गल्फ कंट्री में 18 से भी अधिक साल गुजारे हैं और दुनिया के अन्य देशों में भी सफर किया है। वे कहते हैं कि जिंदगी विदेश के मुल्कों में गुजारने पर गर्व से सर ऊंचा हो जाता था कि मैं एक हिंदुस्तानी हूं। इस धरती पर ऐसा क्या नहीं है जो मैं इस पर गर्व न कर सकूं। 

वतन को छोड़ने की अपनी कहानी बयान करते हुए मनसूर करते हैं “मेरे फाधर भी ओवरसीज में ही रहते थे। कुवैत में होने हॉर्ट अटैक हुआ और परिवार के प्रति मेरी जिम्मेदारियां को नजर में रखते हुए उन्हें एजुकेशन को भी बैकअप कर वतन को छोड़ना पड़ा। 

 एडवर्ड में मंसूर साहब ने देखा था कि वहां पर हिंदुस्तानियों को हिंद कहकर बुलाया जाता है। इसका मतलब होता है कि हम हिंदुस्तान से आए हुए हैं। हिंद अरेबिक वर्ड है, वे लोग हिंदुस्तानियों को किसी जाति या धर्म में या शहर की निगाह से नहीं देते बल्कि सिर्फ हिंदुस्तानी के नजरिए से ही देखते हैं जो हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात होती है। 

47 साल के Tibb E Nabawi practitioner मनसुर साहब कहते हैं कि विदेशों में रहना उनके लिए अपने देश को रिप्रेजेंट करने का सुनहरा अवसर था। बाहरी मूल्कों में रहते हुए इस बात पर भी बड़ा फक्र था कि वहां सिर्फ लेबर क्लास ही नहीं बल्कि बड़ी बड़ी पोस्ट पर भी हिंदुस्तानी देखने को मिलते हैं। मैं एक लाइफ कोच था। लेकिन पैनइंडिया सिटीजन होने के नाते मैंने हर एक मौके पर अपने देश को बखूबी रिप्रेजेंट करने का प्रयास किया और बड़े फक्र से कहता हूं कि मुझे उसमें सफलता भी मिली।“

उन्होंने करीब 12 साल ओमान में गुजारे हैं और हमेशा से अपने अखलाक और व्यवहार से सभी को अपने देश की संस्कृति से रूबरू करवाया है।

अपने भारतीय होने पर फक्र का इजहार करते हुए मनसूर जी कहते हैं कि ओवरसीज में वैसे तो सभी देशों के लोग काम करते हैं लेकिन उन्होंने जिस किसी भी मुल्क में सफर किया तो देखा कि  इन सभी में सबसे बड़ा योगदान हम हिंदुस्तानी ही देते थे। वह कहते हैं कि यह हमारे लिए फक्र की बात है कि हमारे पास मेन पावर की कोई भी कमी नहीं है। 

जब भी विदेशी अफसरों से मिलने का मौका मिला तो हर लम्हा में है काम के साथ ही लोगों को इस बात को बताने में कामयाब रहा की “ We have a will power and we have a proud as an Indian” 

 मै अपने हिंदुस्तानी होने पर भी बड़ा ही गुरुर का भाव महसूस करता हूं। हर एक मजहब बड़ा ही खास है और हर एक मजहब के लोगों के लिए मेरे दिल में काफी रिस्पेक्ट है। मुझे अपने वतन से बहुत ही प्यार है। हमारे प्रोफेट मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने भी कहा है कि आप जिस देश में पले बढ़े जन्मे हैं उस देश के लो एंड आर्डर को फॉलो करें और उससे प्यार करें। मैंने जिंदगी फॉरेन में गुजारने के बावजूद भी हिंदुस्तानी रहन-सहन को बरकरार रखा। इतना ही नहीं मैंने अपने बच्चों को कभी भी वेस्टर्न हीरो के बारे में नहीं बताया लेकिन महात्मा गांधी, अशफाक उल्ला खान, शिवाजी महाराणा प्रताप, अबदी बानो बेगम भारत की पहली मुस्लिम महिला स्वतंत्रता सेनानी, अली ब्रादर्स और रानी लक्ष्मीबाई जैसे फ्रीडम फाइटर्स के बारे में बताया। मैंने हमेशा से मेरे बच्चों को भारतीय संस्कृति, सभ्यता और आध्यात्मिकता के बारे में बताया और उन्हें संपूर्ण भारतीय बनाया।

अपनी सरजमीन अपने वतन को छोड़ना अपने परिवार अपने रिश्तेदार को छोड़ना एक बहुत ही डिफिकल्ट टास्क होता है। इसी को हकीकत में जिहाद कहा जाता है। आजकल मीडिया में और दुनियाभर के कुछ देशों में मुसलमान को जिहादी कहकर गलत तौर पर पेश किया जाता है। जिहाद का मतलब लड़ाई झगड़ा नहीं बल्कि जिहाद का मतलब होता है कंट्रोल कंट्रोल ऑन योर नफ्स, सैक्रिफाइस करना सेल्फ कंट्रोल करना। टेररिज्म से एक सच्चे मुसलमान और हिंदुस्तानी का कोई लेना देना नहीं होता है। अपने वतन को छोड़कर दूसरे मुल्क में बसना यह एक बहुत ही बड़ी कुर्बानी होती है और इसी को असली जिहाद कहते हैं।

एंड ऑफ द मंथ जब हमें सैलरी मिलती है तो हम अपने वतन अपने परिवार वालों को भेजते हैं ताकि वह खुशहाल जिंदगी बिता पाए। 

उन्होंने बताया कि वे पक्के यकीन के साथ कहते हूं कि भारत से बाहर रहने वाला हर एक हिंदुस्तानी वहां रहकर सैक्रिफाइस करता है और सिर्फ इसलिए क्योंकि हिंदुस्तान में रहने वाला उसका परिवार खुशहाल जिंदगी बसर कर पाए इसी का नाम हकीकत में जिहाद है। 

अपन देश की खूबियों को बयान करते हुए वे कहते है कि ओवरसीज कंट्रीज का लॉ एंड ऑर्डर भी हिंदुस्तानियों के लिए काफी सपोर्टिव होता है। वह लोग हमें काम करने का मौका भी देते हैं और इस नजरिए से देखते हैं कि आप हमारी कंट्री में मेहमान हैं। यह जज्बा सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तानियों के लिए पाया जाता है जो हमारे लिए बहुत ही फक्र की बात होती है।

 दूसरे मुल्कों के कई अफसर खुले दिल से इस बात का स्वीकार करते हैं कि हमारे देश का युवा हिंदुस्तानी यूथ की तरह जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार होता है। यह खास क्वालिटी सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तानी लड़कों में पाई जाती है। कुछ लोग मैंने ऐसे भी पाए थे जो सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तानी को ही अहम जिम्मेदारियां सौंपना पसंद करते थे। 

कई बार ऐसा भी हुआ है कि कुछ बाहर लोगों को हिंदुस्तानियों से कुछ बदगुमानी थी। किंतु उन्होंने बड़े ही सलीके के साथ अपने बिहेवियर अपने से उन लोगों को कायल किया कि जैसे धागा बुनने पर कपड़ा तैयार होता है, जैसे दूध में शक्कर धूल जाती है ऐसे ही हम इंडियन होते हैं जो लोगों में घुलमिल जाते हैं।

मनसुर साहब ने बड़े ही फक्र से कहा कि जैसे हम हिंदुस्तान में “वसुदेव कुटुंबकम” की भावना को लेकर चलते हैं इसी भावना को मैंने विदेशों में भी अपनाया हुआ था। कई बार ऐसा हुआ कि डायरेक्टर डिपार्टमेंट की तरफ से मुझे आलोचना का सामना भी करना पड़ा । लेकिन या अल्लाह ताला का मुझ पर करम था कि मैं उन्हें यह बात समझाने में कामयाब रहा कि “अमीरों के महल को गरीब ही बनाते हैं।“

अपने साथ हुई एक किससे को बताते हुए मंजूर साहब ने कहा कि एक वाक्य मेरे जहन में आज भी बरकरार है और शायद उस बंदे को भी मैं जिंदगी भर के लिए याद रहूंगा। एक पाकिस्तानी पंजाबी बंदा हमारे प्रोजेक्ट में वह सबकॉन्ट्रैक्टर्स था। मैंने नोट किया कि बहुत दिनों से वह बंदा साइट पर नहीं आ रहा है। मैंने कुछ पाकिस्तानी वर्कर से उसके हाल-चाल पूछा और अपना मैसेज भी पहुंचाया। कुछ ही घंटे बीते थे कि वह बंदा मेरा रुम ढूंढते हुए मुझ तक आ पहुंचा। उसने मुझे बताया कि उसे कुछ हेल्थ इश्यू थे और उसका इंचार्ज शहर से बाहर होने के के कारण डॉक्टर भी एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ जाकर उसकी हेल्प नहीं कर सकते थे। डॉक्टर ने यह कहकर अपने हाथ पीछे खींच लिए की इंसानियत अपनी जगह पर और रूल्स अपनी जगह पर।

हमारे इंचार्ज डॉ पाकिस्तानी ही थे और यह बंदा भी पाकिस्तानी ही था। अब मसला यह था कि 2 पाकिस्तानियों के बीच में एक हिंदुस्तानी यानी मैं फंस चुका था। डॉक्टर साहब की काफी मिन्नतें करने के बाद उस बंदे को हॉस्पिटल में रेफर करने के लिए कन्वेंस करने में मैंने कामयाबी हासिल की। 

2 दिनों के बाद हॉस्पिटल से इंचार्ज होकर वह बंदा जब साइट पर आया तो वह काफी खुश था और मुझे ढूंढता हुआ मेरे पास आया। उससे ज्यादा खुशी की बात मेरे लिए थी कि मैं एक इंसान होने के नाते किसी इंसान के काम आया।

अपने वतन से दोबारा काम पर लौटते वक्त वह उनके के लिए पाकिस्तानी पंजाबी शॉल लेकर आया था। पाकिस्तान के पंजाब सूबे में कॉटन की शॉल पहनते हैं और जब किसी को सम्मान के तौर पर गिफ्ट करना होता है तो भी वह शॉल दी जाती है। उस बंदे ने बड़े ही अदब व हेतराम से वह शॉल मेरे कंधे पर रख दी। मैंने उसे बहुत ही इनकार किया कि आपकी मदद करना मेरा फर्ज था। 

लेकिन उस बंदे ने मुझे वह शॉल पहनाते हुए कहा कि वह हर हिंदुस्तानी में मंसूर भाई को देखता है। उसके यस अल्फाज को सुनते ही मैंने तोहफा भी कबूल कर लिया। वह बंदा मुझे हमेशा याद रहेगा और मैं भी उस बंदे को हमेशा याद रखूंगा।

अपने देश की महानता को बताते हुए मनसूर साहब कहते हैं कि उनके साथ काम करने वाले दूसरे मुल्कों के लोग कहते थे कि दुनिया में अगर सर्वश्रेष्ठ माता पिता कैसे होते हैं, एक आदर्श पुरुष कैसा होता है, एक महान स्त्री क्या होती है, भाई क्या होते हैं, बहन क्या होती है और सबसे बढ़कर एक देशभक्त क्या होता है, दुनिया के जितने भी रिश्ते हैं उनकी महानता के अगर उदाहरण देने हैं तो वह सभी भारत देश में ही मिलते हैं।

अंत में मैं यही कहना चाहता हूं कि मुझे फक्र है कि मैं एक हिंदुस्तानी हूं और मेरा यह अभिमान मरते दम तक बरकरार रहेगा।

Mansoorali Shahibole 

[ Health & Safety Advisor, Life Coach / Wellness coach at Consolidated Contactors Company LLC (Oman)]

 [Tibb E Nabawi practitioner]

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