• हमारा एक ही सवाल अगर कोई घटना हुई और फायर ब्रिगेड की वाहन अंदर नहीं आ पाई तो फिर उसका जिम्मेदार कौन..? म्हाडा, बीएमसी, मुंबई पुलिस..?
• हमारे ख्याल से तो म्हाडा को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने समय रहते, ना ही पार्किंग बंद करवाए, ना ही फेडरेशन के अध्यक्ष और सचिव पर FIR दर्ज करवा..
• शिकायत मिलते ही म्हाडा कार्यालय से अधिकारी रोहित शिंदे जांच के लिए आते ही अवैध पार्किंग देख खूब फटकार लगाते है, और चेतावनी देकर चले जाते है..
• कुछ दिनों बाद फेडरेशन के सभी मलाई खोर सदस्य म्हाडा कार्यालय जाते, और वहां ऐसा क्या हुआ कि उस दिन से कोई भी अधिकारी अवैध पार्किंग को बंद करने के लिए नहीं आए..?
• क्या अवैध पार्किंग के लिए रोहित शिंदे और फेडरेशन के अध्यक्ष और सचिव के भी कोई सांठगांठ हो गया है..?
• फेडरेशन के अध्यक्ष और सचिव ने पहले ही कहा था कि म्हाडा से जो अधिकारी आएगा वह सब भ्रष्ट होते है, इसलिए वह किसी से नहीं डरते है..
• क्या म्हाडा से जो अधिकारी आए थे वह भ्रष्ट है..? अब देखने से तो यही लगता है कि जो अधिकारी अवैध पार्किंग बंद करने की चेतावनी देता है, वही अधिकारी अब कुछ नहीं कर रहा है..?
मुम्बई/वशिष्ठ वाणी: अगर आप किसी अवैध पर शिकायत करे और जांच करने वाला अगर भ्रष्ट अधिकारी निकल जाए तो फिर आप क्या कर सकते है..? आपको बता दें कि एक व्यक्ति विकास के नाम पर फेडरेशन बनाता है और कुछ वर्ष बीत जाने के बाद वह व्यक्ति म्हाडा के खुली जगह पर अवैध पार्किंग शुरू कर देता है, और उस व्यक्ति को किसी का डर नहीं है, वह सभी से कहता है कि म्हाडा अधिकारी जो भी आयेंगे उन्हें वह देख लेंगे.. और यह सच भी साबित होता है अवैध पार्किंग के शिकायत पर म्हाडा कार्यायल से अधिकारी रोहित शिंदे जांच के लिए सामना नगर मालवाणी गेट नं 8 पर आते है और आते ही पार्किंग देख कर चौक जाते है और फटकार लगाते हुए पूछते है कि यह क्या हो रहा है, फिर चेतावनी देते है कि इसे जल्द ही बंद किया जाए नहीं तो फेडरेशन के अध्यक्ष भगत को जेल में बंद करवा देंगे.. अब यह सुनते ही फेडरेशन के सभी सदस्य डर जाते है और वह पार्किंग बंद करने की तैयारी शुरू कर देते है, पर पार्किंग करने से पहले फेडरेशन के सभी मलाई खोर सदस्य म्हाडा कार्यालय जाते है, और अब वहां ऐसा क्या सांठगांठ हुआ कि अब फेडरेशन के सदस्यों ने ना ही पार्किंग बंद की और अब कोई अधिकारी दुबारा नहीं आ रहे हैं..
हमारे संवाददाता से जब इस विषय म्हाडा अधिकारी रोहित शिंदे से बात की तो रोहित शिंदे ने बताया बताया कि मेरे चेतावनी के बाद फेडरेशन के सभी सदस्य म्हाडा कार्यालय आए और मेरे वरिष्ठ अधिकारी से बात किए, फेडरेशन का अध्यक्ष भगत अवैध पार्किंग को लेकर काफी गुमराह करने की सोच रहा था पर वरिष्ठ अधिकारी ने भगत को काफी फटकार लगाते हुए कहा कि वहां से सभी वहान बाहर होने चाहिए, क्योंकि म्हाडा ने वहां पर ऑटो रिक्शा और कार के लिए पार्किंग की जगह नहीं दी है, रोहित शिंदे ने आगे बताया कि फेडरेशन का अध्यक्ष अगर पार्किंग बंद नहीं किए तो फिर हम उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई करेंगे.. अब यह म्हाडा अधिकारी रोहित शिंदे का कहना है, पर अभी तक न पार्किंग बंद हुआ और ना ही कोई वाहन बाहर हुए, और ना ही म्हाडा अधिकारी द्वारा कोई कानूनी कार्रवाई की गई..? अब यह सब देखकर तो यही लग रहा है कि म्हाडा अधिकारी और फेडरेशन के अध्यक्ष और सचिव के बीच कोई सांठगांठ हुई होगी..?
वहां पर रहने वालों से भी हमारी बात हुई हमारे द्वारा जब यह पूछा गया कि म्हाडा अधिकारी के चेतावनी के बाद भी पार्किंग बंद नहीं हुई तो सभी का यही उत्तर मिला कि अधिकारी ने पैसा खा लिया होगा, क्योंकि यह जगह म्हाडा की है और यहां पर सोसायटी से लेकर फेडरेशन बनाने की अनुमति म्हाडा से लेनी पड़ती है, अब इसके बाद कोई भी अधिकारी के चेतावनी को कैसे अनदेखा कर सकता है, जरूर कुछ लेनदेन हुई होगी, क्योंकि चेतावनी के बाद अब कोई भी अधिकारी दुबारा यहां झांकने तक नहीं आए है।
अब यह तो काफी गंभीर विषय है वहां पर रहने वाले करीब हजारों से ज्यादा संख्या है और उन सभी का कहना है कि यहां तो फेडरेशन के अध्यक्ष और सचिव का काफी मनमानी बढ़ गया है वह अवैध पार्किंग के चक्कर में सभी के जान से खिलवाड़ कर रहे है पर यह बात किसी के अधिकारी तक नहीं पहुंच पा रही है, आपको यह भी बता दें कि अवैध पार्किंग और फेडरेशन के भारी बोर्ड के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया गया था और काफी लोगों ने हस्ताक्षर किया, पर उसके बाद भी किसी अधिकारी के कान में जूं तक नहीं रेंगा..
अवैध पार्किंग को लेकर वस्तुरचना सोसायटी के चेयरमैन और सचिव म्हाडा में लिखित शिकायत की है, पर शायद अब म्हाडा अधिकारी को वह भी पत्र नहीं दिखेगा..? क्योंकि फेडरेशन के अध्यक्ष और सचिव से उनके सांठगांठ जो हो गए है, अब फेडरेशन वहां पर अवैध पार्किंग करे या कुछ जब म्हाडा अधिकारियों ने अपने आंखों पर पट्टी बांध ली है तो फिर कुछ भी हो उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ेगा..
पर सवाल उठना बंद नहीं होगा कि फेडरेशन का अध्यक्ष और सचिव इतना जिद्द कैसे कर सकते है..? और जिद्द में लोगों के जान से खिलवाड़ कैसे कर सकते है..? क्या कोई भी कानून उनको यह अधिकार दे सकता है कि फेडरेशन बना लो फिर जो चाहे वह करो उन्हें कोई रोकने वाला नहीं है..? क्या फेडरेशन के सदस्यों के बातों को इतनी अहमियत दी जाती है बाकी जो वहां पर रहने वाले बोल रहे हैं उनके बातों का कोई वजन नहीं है..?
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