Who will take over PR Sreejesh: एक खुशहाल परिवार की तस्वीर में वह केंद्र में नहीं है. आप उसे नीचे के कोने में, दायीं ओर से दूसरे स्थान पर बैठे हुए देख सकते हैं. वह एक बड़ी, दिली मुस्कान दिखा रहा है. लेकिन दूसरों के विपरीत, उसके गले में कोई पदक नहीं है. यह तस्वीर पेरिस ओलंपिक के पोडियम पर ली गई थी. लेकिन यह टोक्यो गेम्स भी हो सकती थी और अब जब पीआर श्रीजेश ने हॉकी से अलविदा कह दिया है तो क्या अब इस खिलाड़ी का मौका आएगा?
भारतीय हॉकी के इतिहास में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो खेल के पर्याय बन जाते हैं. पीआर श्रीजेश उनमें से एक थे. उनकी विदाई के साथ, एक नए युग का उदय हो रहा है, जिसका नेतृत्व कृष्ण पाठक कर रहे हैं. पाठक, एक नाम जो हाल तक केवल हॉकी जगत में ही जाना जाता था, अब धीरे-धीरे मुख्यधारा में आ रहा है.
पिछले दो ओलंपिक में टीम का हिस्सा रहे होने के बावजूद, उन्हें अभी तक वह पहचान नहीं मिली, जिसके वह हकदार हैं. लेकिन यह बदलने वाला है.
श्रीजेश जितने टैलेंटेड पर उतने ही अलग हैं पाठक
श्रीजेश के विपरीत, पाठक का व्यक्तित्व शांत और संयमित है. वह मैदान पर ज्यादा बोलने वाले नहीं हैं, लेकिन उनके हाथों में दस्ताने एक अलग ही कहानी बयां करते हैं. उनकी शांत आत्मविश्वास और शक्तिशाली बचाव उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं.
वैन डी पोल का मानना है कि पाठक की छोटी कद कातिल साबित हो सकती है. विरोधी उन्हें कम आंक सकते हैं, लेकिन उनके शक्तिशाली बचाव और त्वरित रिफ्लेक्स उन्हें हर बार निराश करते हैं.
भारतीय टीम में अगले गोलकीपर की भूमिका निभाने को तैयार हैं पाठक
श्रीजेश और पाठक, दोनों ही अपने तरीके से असाधारण हैं. जहां श्रीजेश आक्रामकता और नेतृत्व के साथ गोल की रक्षा करते थे, वहीं पाठक शांत कुशलता और शारीरिक क्षमता के बल पर अपना दबदबा कायम करते हैं.
पाठक और उनकी टीम के सामने आने वाले चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा. लेकिन अगर वे एकजुट होकर काम करते हैं, तो भारतीय हॉकी के लिए एक सुनहरा भविष्य की उम्मीद की जा सकती है. कृष्ण पाठक अब केंद्र में हैं, और वह वहां रहने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
श्रीजेश से सीखे हैं गोलकीपिंग के गुण
पाठक के पास श्रीजेश के साथ खेलने का अनुभव है, जिससे उन्हें गोलकीपिंग के बारीकियों को समझने में मदद मिली है. टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने अपने गुरु से काफी कुछ सीखा और अपनी क्षमताओं में निखार लाया. कोचिंग स्टाफ का भी मानना है कि पाठक और श्रीजेश के बीच बहुत कम अंतर है और दोनों ही टीम के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं.
पाठक के अलावा ये खिलाड़ी भी रेस में हैं शामिल
भारतीय हॉकी के पास पाठक के अलावा भी प्रतिभाशाली गोलकीपर हैं. सूरज कार्केरा, एक अनुभवी खिलाड़ी हैं, जिनके पास अंतरराष्ट्रीय स्तर का अनुभव है. वहीं, युवा मोहित एक उभरता हुआ सितारा हैं, जिनमें काफी क्षमता है. पवन भी इस प्रतिस्पर्धा में शामिल हैं और टीम के लिए एक विकल्प के रूप में तैयार हैं.
हालांकि, पाठक को मुख्य दावेदार के रूप में देखा जा रहा है. उनके पास अनुभव, क्षमता और एक शांत सिर है, जो एक शीर्ष स्तर के गोलकीपर के लिए आवश्यक गुण हैं. यदि वह अपने खेल को और निखारता है, तो वह न केवल श्रीजेश की जगह भर सकते हैं बल्कि भारतीय हॉकी के लिए एक नए युग की शुरुआत भी कर सकते हैं.
श्रीजेश की जगह भरना नहीं होगा आसान
भारतीय हॉकी के पास पाठक के रूप में एक सक्षम उत्तराधिकारी है, इसमें कोई दो राय नहीं. लेकिन उनके साथ सूरज कार्केरा, मोहित एचएस और पवन जैसे प्रतिभाशाली गोलकीपर भी हैं, जो इस पद के लिए तैयार हैं. अगली पीढ़ी के गोलकीपरों का भविष्य उज्ज्वल दिखता है. हालांकि, श्रीजेश के खाली पड़े जूतों को भरना आसान नहीं होगा. आने वाले समय में पाठक पर काफी दबाव होगा. यह एक चुनौती है, लेकिन यह भी एक अवसर है भारतीय हॉकी के लिए एक नया अध्याय लिखने का.