Yashwant Verma News: जस्टिस वर्मा अब एक नए विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं. दरअसल, जस्टिस वर्मा ने अपना दिल्ली वाला बंगाल छोड़ने से मना कर दिया है. वो इसे अपने पास ही रखना चाहते हैं. वो भविष्य में वो दिल्ली आते-जाते रहेंगे. ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ऑफिस ने दिल्ली पुलिस को एक पत्र लिखाकर अनुरोध किया है कि राजधानी में उनके बंगले में पुलिस और सीआरपीएफ की सुरक्षा को पहले की तरह ही बनाए रखा जाए.
जस्टिस वर्मा का 28 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर किया गया था. यह कदम उनके दिल्ली आवास पर 14 मार्च को लगी आग के बाद जले हुए नोटों की बरामदगी के बाद उठाया गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 5 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट के डिप्टी रजिस्ट्रार (प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग) एस.पी. गुप्ता ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर कहा, “जस्टिस वर्मा, जो अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर हो चुके हैं, दिल्ली में अपना सरकारी बंगला बनाए रखेंगे. उनकी इच्छा के अनुसार, बंगले में सीआरपीएफ सुरक्षा कर्मियों की तैनाती तब तक जारी रखी जाए, जब तक वे बंगला रखते हैं.”
दिल्ली पुलिस सूत्रों का कहना है कि हाईकोर्ट रजिस्ट्रार के अनुरोध पर विचार किया जा रहा है. गृह मंत्रालय के ‘येलो बुक’ दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी व्यक्ति के ट्रांसफर के एक महीने बाद सुरक्षा वापस ले ली जानी चाहिए. जस्टिस वर्मा को वाई-श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है, जिसमें दिल्ली पुलिस के तीन सुरक्षाकर्मी और सीआरपीएफ कर्मी शामिल हैं. जस्टिस वर्मा मूल रूप से इलाहाबाद के रहने वाले हैं. उनका दिल्ली से कोई सीधा ताल्लुक नहीं है. राजधानी से कोई मौजूदा संबंध न होने के बावजूद सुरक्षा जारी रखने का फैसला सवाल उठा रहा है. क्या यह विशेषाधिकार है या जरूरत? इस पर बहस तेज हो गई है.