एससी-एसटी आरक्षण के भीतर आरक्षण पर एनडीए में टकराव, बिहार के दो नेता आएं आमने-सामने

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Chirag Paswan – Jitan Ram Manjhi: आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बयानबाजियों की दौर जारी है. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात की है. उनके इस बयान का बिहार से ही आने वाले केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने विरोध किया है.

एससी-एसटी आरक्षण के भीतर आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रार बढ़ती ही जा रही है.यहां तक कि केंद्र में सरकार चला रहा एनडीए भी इस फैसले पर दो फाड़ नजर आ रहा है. एक तरफ जहां लोजपा (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इस फैसले के खिलाफ हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री और हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने फैसले का स्वागत किया है. चिराग ने कहा है कि उनकी पार्टी इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी.वहीं मांझी ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह फैसला 10 साल पहले ही आ जाना चाहिए था. 

क्या कहा है जीतन राम मांझी ने

मांझी बिहार के गया से सांसद हैं. वो हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संरक्षक हैं. उन्होंने एनडीए में शामिल लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान को स्वार्थी बताया है.मांझी का कहना है कि जो आदमी बढ़ गया है, वह आगे बढ़ते रहे और जो लोग पिछड़ गए हैं उनके बारे में सोचा जाए.इसलिए हम हर हालत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट का जो जजमेंट आया है, वह 10 साल पहले आना चाहिए था. बाबा साहब के अनुसार साक्षरता एक मानदंड है सबसे नीचे होने का. 

उन्होंने कहा कि एससी की साक्षरता दर महज 30 फीसद है. इस 30 फीसदी में कई जातियां हैं. 30 फीसदी से ऊपर वालों को आरक्षण का लाभ मिलता रहे, मैं इसका विरोध नहीं करता हूं लेकिन जिन लोगों की साक्षरता दर सात-आठ फीसदी है,  उसको तो आगे बढ़ाना ही चाहिए.सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि जो समाज में नीचे गिरा हुआ है, उसको आगे बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए.

देश में दलितों से भेदभाव होता है,उन्हें मंदिरों में पूजा नहीं करने दिया जाता और न शादियों में घोड़ी चढ़ने दिया जाता है,पासवान के इस बयान पर मांझी ने कहा कि ये बातें स्वार्थी लोग कह रहे हैं.उन्होंने कहा कि भुइयां, मुसहर, डोम, मेहतर जाति के जो लोग हैं, उनमें से कितने आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर और चीफ इंजीनियर हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग आज नाराजगी जता रहे हैं, वे चार जातियों के हैं, इसका मतलब है कि एससी का हक उन्हीं लोगों को मिलता रहे. उन्होंने कहा कि 76 साल से वही लोग आरक्षण का लाभ तो ले ही रहे हैं. 

क्यों आमने-सामने आ गए हैं पासवान और मांझी

दरअसल पासवान और मांझी की लड़ाई का सूत्र बिहार की जनसंख्या में छिपा हुआ है. बिहार सरकार ने पिछले साल 2 अक्तूबर को जाति सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किए थे. इसके मुताबिक पासवान की जाति दुसाध की आबादी बिहार में 5.31 फीसदी है. वहीं मांझी की मुसहर जाति की आबादी 3.08 फीसदी है.अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नौकरियों में दुसाध काफी आगे हैं. वहीं मुसहर इस मामले में पिछड़े हुए हैं.

इन आंकड़ों के आधार पर मांझी को लगता है कि अगर एससी-एसटी में सब कैटेगरी बनाई जाती है तो उनके समुदाय को फायदा हो सकता है. इसलिए वो चिराग पासवान का विरोध कर रहे है, जो फैसला आने के बाद से ही फैसले के विरोध में झंडा उठाए हुए हैं.

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