Budget 2024 से युवा और गृहणियों को क्या हैं उम्मीदें? क्या चाहते हैं छात्र 

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Budget 2024: बजट, किसी भी देश के लिए उम्मीदों के पिटारे वाला सरकारी फरमान होता है. यह सालभर तक क्या होने वाला है, इसकी रूप-रेखा तय करता है. इस वित्तीय वर्ष में युवाओं को सरकार से ढेरों उम्मीदें हैं. कुछ स्टार्टअप्स में छूट चाहते हैं, कुछ का कहना है कि सरकार, कर्ज माफी कर दे, जिससे एक नई शुरुआत हो सके. पढ़ें क्या चाहते हैं युवा.

बजट 2024 से देश के युवाओं को बहुत उम्मीदें हैं. ज्यादातर युवाओं का कहना है कि सरकार को समावेशी बजट पेश करना चाहिए, जिससे हर तबके को लाभ मिले. रेहड़ी-पटरी वालों से लेकर शॉपिंग कॉम्पेल्क्स तक के व्यापार को देखते हुए सरकार को बजट पेश करना चाहिए. बजट के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना और मनरेगा जैसे स्कीम की भी उम्मीद में युवा हैं. उनका कहना है कि अगर ग्रामीण स्तर पर ही विकास नहीं पहुंचा तो विकास का कोई अर्थ नहीं है. गांव, भारत की रीढ़ हैं.

दिल्ली में रहने वाले विजय प्रकाश गुप्ता अपना स्टार्टअप चलाते हैं. वे उद्यमी हैं और अपने प्रोडक्ट्स को दिल्ली-एनसीआर में बेचते हैं. उनका कहना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को छोटे उद्यमियों का ध्यान रखना चाहिए. स्टार्टअप्स के लिए एक सकारात्मक भविष्य पर जोर देना चाहिए, जिससे कई और लोगों को मौका मिले. उन्हें उद्यमिता के जोखिमों के लिए भी कुछ करना चाहिए, लोन में राहत देनी चाहिए. विजय यह भी बताते हैं कि उन्हें समावेशी बजट की उम्मीद है. 

  • रोगजार पर क्या सोचते हैं युवा?

उपेंद्र शुक्ल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. उनका कहना है कि सरकार को रोजगार के लिए अतिरिक्त बजट तय करना चाहिए. युवा नौकरियों की उम्मीद में हैं, उन्हें नहीं मिल रही हैं. वैकेंसी नहीं आ रही है. जो वैकेंसी आ रही है, उस पर भर्ती नहीं निकल रही है. रोजगार के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं दिख रहा है. रोजगार, हमारे लिए मुद्दा है और सरकार को रोजगार पर कुछ करना चाहिए. 

  • बजट से क्या है इंजीनियरों को उम्मीद?

शमीम अहमद पेशे से सिविल इंजीनयिर हैं. उन्होंने कानपुर के एक इंस्टीट्यूट से बीटेक किया है. उनका कहना है कि रोजगार नहीं मिल रहा है. नए प्रोजेक्ट्स में पुराने चेहरों को ही मौका मिल रहा है, युवा इंजीनियरों के लिए मुश्किल वक्त चल रहा है. सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर और बढ़ाने की जरूरत है, जिससे लोगों को रोजागर मिल सके और देश विकसित हो सके. सरकार को ज्यादा से ज्यादा प्रोफेशनल्स तैयार करने पर जोर देना चाहिए, तभी देश, विकसित भारत की ओर बढ़ सकेगा. 

तुषार उपाध्याय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़े हैं और इंजीनियर हैं. उनका कहना है कि सरकार को सप्लाई चेन दुरुस्त करने की जरूरत है. हम जो बनाएं, उसे बेचने के लिए सही बाजार मिले. इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी. सरकार को नए खोज पर जोर देना चाहिए. सरकार, स्किल डेवलेपमेंट को लेकर कोई महत्वपूर्ण ऐलान करे, जिससे बेरोजगारी दूर हो और लोगों को काम करने का मौका मिलेगा. 

  • बजट से डॉक्टरों को क्या है उम्मीद?

डॉ. शाहिद, पेशे से चिकित्सक हैं. उनका कहना है कि इस देश को हेल्थकेयर सेक्टर में बूस्ट की जरूरत है. सरकार को ग्रामीण स्तर तक, उन्नत चिकित्सालयों की पहुंच के लिए व्यवस्था करानी चाहिए. AIIMS जैसे संस्थानों के अब जिले-जिले पहुंचने के दिन आ गए हैं. आम आदमी महंगाई की मार से इतना दबा है कि अपना सही इलाज नहीं करा पा रहा है. प्राइवेट अस्पताल, अब भी आम लोगों की पहुंच से बहुत दूर हैं. ऐसे में सरकार को हेल्थकेयर इंडस्ट्री के मूलभूत सुधार पर जोर देने की जरूरत है. 

  • बजट 2024 से क्या चाहता है टूरिज्म विभाग?

शादाब हुसैन, ट्रैवेल एजेंट हैं. उनका कहना है कि सरकार को अब उन इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए, जो अब तक अछूते रहे. यूपी से लेकर बिहार तक, कई ऐसी जगहें हैं, जो दुनिया के किसी भी टूरिस्ट डेस्टिनेशन के कम नहीं हैं. सरकार को इसका प्रचार प्रसार करना चाहिए, जिससे लोग देश के अनछुए हिस्सों तक पहुंचे. इससे वहां की अर्थव्यवस्था सुधरेगी और नई दिशा मिलेगी. 

  • बजट से छात्रों को क्या है उम्मीदें?

प्रखर त्रिपाठी, छात्र हैं. उनकी उम्मीद है कि सरकार खाने-पीने वाले सामानों पर राहत देगी, टैक्स में छूट दिया जाएगा, जिससे बजट पर बोझ नहीं पड़ेगा. बच्चों को कम पैसे मिलते हैं, खाद्य उत्पादों पर लगे जीएसटी में बड़ा पैसा चला जाता है, यह गलत है. राहत मिलनी चाहिए. उनका कहना है कि लैपटाप और मोबाइल पर ऐडेड टैक्स को हटाना चाहिए और सरकार को ऐसे उत्पादों को सस्ता करना चाहिए.

  • गृहणियों को बजट से क्या हैं उम्मीदें?

शीला चौधरी, गृहणी हैं. उनका कहना है कि सब्जियां बेतहाशा मंहगा हो रही हैं. मसालों के दाम उछाल पर हैं. दूध की कीमतें हर 6 महीनें में बढ़ जा रही हैं. गैस के दाम हद से ज्यादा बढ़ गए हैं. बच्चों को पढ़ाना-लिखाना महंगा हो रहा है. स्कूलों की फीस इतनी है कि पढ़ाने मन नहीं करता है. सरकार को इस सेक्टर पर भी ध्यान देना चाहिए.

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