Budget 2024: निर्मला सीतारमण के लिए इस बार बजट में संतुलन बनाना बड़ी चुनौती होगी. एक ओर पीएम मोदी की आवास सब्सिडी, आयुष्मान भारत के विस्तार के लिए धन की आवश्यकता है. मोदी 3.0 रोजगार सृजन, निजी क्षेत्र में निवेश चाहता है, तो वहीं भाजपा के सहयोगी (NDA में शामिल पार्टियां) महिलाओं, किसानों पर ध्यान केंद्रित करने की मांग कर रहे हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का 7वां बजट काफी उतार-चढ़ाव भरा होगा. ये इसलिए क्योंकि मोदी सरकार के सहयोगी दलों की ओर से राज्यों को अतिरिक्त सहायता देने की अपील की गई है. इसी बीच, मोदी सरकार की ओर से सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर अधिक खर्च करने की आवश्यकता पर बल देने की संभावना है. ऐसे में निर्मला सीतारमण को दोनों के बीच संतुलन बनाना होगा. इसके अलावा, वित्त मंत्री व्यक्तिगत आयकर में कमी की मांगों को संबोधित करने की कोशिश करेंगी.
गरीबों के लिए एक नई आवास सब्सिडी योजना की पीएम नरेंद्र मोदी की अन्य चुनाव पूर्व घोषणा को लागू करने के लिए सीतारमण को अधिक धन की आवश्यकता होगी. साथ ही, आयुष्मान भारत के कवरेज में सीनियर सिटिजन को शामिल करने जैसे चुनावी वादों को पूरा करना होगा. बीमा कवर को बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की मांग पहले से ही की जा रही है, जिसके लिए राजनीतिक निर्णय की आवश्यकता है क्योंकि इस बात की शिकायतें हैं कि अस्पताल केवल आबादी के इस हिस्से की सेवा करने के लिए ही बन रहे हैं.
- अंतरिम बजट से लेकर अब तक की राजनीतिक स्थिति बदली
लोकसभा चुनाव से पहले निर्मला सीतारमण की ओर से अंतरिम बजट पेश किया था, लेकिन तब से लेकर अब तक की राजनीतिक स्थिति बदल गई है. अब भाजपा केंद्र में सरकार चलाने के लिए सहयोगियों (NDA में शामिल पार्टियां) पर निर्भर है, हालांकि उसके पास अभी भी लोकसभा में 240 सांसद हैं. लेकिन नौकरियों की कमी, निजी निवेश में लगातार कमजोरी, आय असमानता और क्षेत्रीय असंतुलन का शोर बढ़ गया है, जिससे उम्मीदें बढ़ गई हैं कि बजट में युवा, महिला और किसान जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा.
अब तक मुफ्त वाली योजनाओ यानी रेवड़ियों से दूर रहने वाली मोदी सरकार के लिए, योजनाओं से लीकेज को रोकना एक प्रमुख प्राथमिकता रही है, चाहे वो टैक्स छूट हो या योजनाओं के तहत लाभ का मामला हो. हालांकि ये मुख्य मुद्दा बना रहेगा. खासकर तब जब निर्मला सीतारमण, मोदी 3.0 का पहला बजट पेश कर रही हैं, जिसमें 2030 तक के लिए रोड मैप तैयार किया गया है, जिसमें 2047 अंतिम लक्ष्य है.
कुछ उद्योग समूहों की ओर से रोजगार से जुड़े प्रोत्साहनों की मांग की गई है, लेकिन सरकार का ध्यान उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों पर है, जहां उत्पादन में वृद्धि और क्षमता निर्माण में निवेश के बदले रोजगार पैदा होता है. उम्मीद है कि सीतारमण एक बार फिर प्राइवेट सेक्टर पर भरोसा करेंगी ताकि अधिक निवेश के माध्यम से रोजगार पैदा हो सके
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