हिंदुत्ववादी संगठनों का एक धड़ा, ताजमहल को हिंदू मंदिर ‘तेजोमहालय’ बता रहा है. कुछ संगठनों का दावा है कि यहां शिव मंदिर था, इसलिए सावन में रुद्राभिषेक करेंगे. कुछ लोगों ने ऐसा करने की कोशिश की लेकिन नाकाम रह गए. अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने ताजमहल परिसर के भीतर बोतल ले जाने पर पाबंदी लगा दी है.
सावन का महीना, कांवड़ियों और भोलेनाथ के भक्तों का महीना कहलाता है. इस पवित्र महीने में भक्त भगवान शिव की जलाभिषेक करते हैं. कुछ भक्तों को आगरा का ताजमहल भी शिव मंदिर लगा तो वे सीधे वहां जल पहुंचाने पहुंच गए. लोग प्लास्टिक की बोतलें लेकर जाते और कहते कि जलाभिषेक कर रहे हैं. यह शरारत आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को रास नहीं आई और ASI ने कैंपस में प्लास्टिक की बोतलों पर ही पाबंदी लगा दी.
अब ताहमहल की मुख्य कब्र पर लगातार हो रहे ‘जलाभिषेक’ के बाद, वहां प्लास्टिक बोतल और पानी ले जाने पर पाबंदी लगा दी है. मुख्य इलाके में लोग अब प्लास्टिक की बोतलें लेकर नहीं जा सकेंगे. सुरक्षाकर्मी इस पर सख्ती से नजर रखेंगे.
क्यों ASI ने लिया है ऐसा फैसला?
अखिल भारत हिंदू महासभा के कुछ सदस्यों ने ऐसा करने की कोशिश की थी, जिन्हें शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया था. वे कब्र पर ही जलाभिषेक करने की कोशिश कर रहे थे. उनका कहना है कि भगवान शिव का मंदिर ही ताजमहल है, जहां कब्र है, वहीं भगवान शिव का मंदिर है. शाहजहां की बनवाई इस इमारत को कुछ हिंदुत्ववादी संगठन, तेजोमहालय मंदिर बताते हैं.
सावन के तीसरे सोमवार के दिन हिंदू महासभा के आगरा जिला अध्यक्ष मीरा राठौर ने ताजमहल में जलाभिषेक किया और भगवा झंडा लहराया. कुछ लोगों की लगातार शिकायत के बाद यह फैसला लिया गया है.
इस फैसले पर क्या कह रहे हैं लोग?
टूरिस्ट गाइड वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट ने कहा, ‘ताजमहल में पर्यटक भीषण गर्मी में बिना पानी के नहीं रह सकते हैं. सतर्क रहने की जगह अधिकारी पानी बैन कर रहे हैं. बीते 3 महीनों में कई लोग बीमार पड़े हैं. बूढ़े और बुजुर्गों के लिए यह फैसला ठीक नहीं है, उन्हें परेशान होना पड़ा. यह फॉरेन टूरिस्ट के बीच खराब असर डालेगा.’
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