सस्ता होगा गेहूं, खाद्य तेल और पेट्रोल डीजल, अन्य प्रकार के खाद्य भी होंगे सस्ते 

Estimated read time 1 min read

रूस के राष्ट्रपति वलिदिमिर पुतिन ने गुरुवार को पूरी दुनिया को राहत देने वाली खबर दी है। पुतिन ने कहा है कि यदि भारत ,चीन और ब्राजील मध्यस्ता करें तो वह यूक्रेन से बातचीत के लिए तैयार हैं। यदि यह बातचीत सफल होती है तो इसका असर पूरी दुनिया में सूरजमुखी ,गेहूं, कच्चे तेल और अन्य प्रकार के खाद्य तेलों पर पड़ेगा। दरअसल यूक्रेन गेहूं और सूरजमुखी का बड़ा उत्पादक है और रूस द्वारा किए गए हमले के बाद यूक्रेन की तरफ से पूरी दुनिया को होने वाली गेहूं और सूरजमुखी सहित अन्य खाद्य तेलों के बीजों की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इस कारण पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ी जबकि रूस द्वारा अमेरीका पर हमला भी किया गया, जिसके चलते अमेरीका ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे और रूस द्वारा पूरी दुनिया में सप्लाई होने वाले कच्चे तेल की आपूर्ति रुक गई जिसका पूरी दुनिया में एनर्जी की कीमतों पर असर पड़ा।  

महंगाई बढ़ने के कारण पूरी दुनिया के केंद्रीय बैंकों द्वारा फरवरी 2022 के बाद से ही ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिए शुरू किया गया जो पिछले साल अगस्त तक जारी रहा। अभी भी अमेरीका ने ब्याज दरों में कमी नहीं की है और भारत में भी ब्याज दरों में कमी का इंतज़ार किया जा रहा है। दोनों देशों के मध्य युद्ध रुकता और सामान्य स्थिति बहाल होती है पूरी दुनिया में सूर्यमुखी ,गेहूं, कच्चा तेल और अन्य प्रकार के खाद्य सस्ते होंगे जिससे महंगाई कम होगी और इस से ब्याज दरें भी कम होंगी। 

यूक्रेन की वैश्विक कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका

ऐसे में अगर बात करें यूक्रेन की, तो वैश्विक कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 2021 में, यूक्रेन ने लगभग 16 मिलियन मीट्रिक टन सूरजमुखी का उत्पादन किया, जिसमें से 6 मिलियन मीट्रिक टन का निर्यात हुआ। यह निर्यात वैश्विक सूरजमुखी तेल का लगभग 50% था, जिससे यूक्रेन ने वैश्विक बाजार में एक प्रमुख स्थान बनाए रखा। अनाज के क्षेत्र में भी, यूक्रेन ने 2021 में लगभग 30 मिलियन मीट्रिक टन गेंहू और 40 मिलियन मीट्रिक टन मक्का का उत्पादन किया। यूक्रेन के गेंहू निर्यात ने वैश्विक निर्यात का लगभग 10% और मक्का निर्यात ने लगभग 16% हिस्सा बनाया, जो वैश्विक खाद्य आपूर्ति में यूक्रेन के महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप, यूक्रेन के खाद्य पदार्थों के निर्यात में कमी आई। यह कमी वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करने लगी और खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि की, जिससे वैश्विक मुद्रास्फीति पर भी असर पड़ा। रूस, जो दुनिया का एक प्रमुख कच्चे तेल निर्यातक है, ने 2021 में रोजाना लगभग 5 मिलियन बैरल कच्चे तेल का निर्यात किया। इसका निर्यात मुख्य रूप से यूरोप (जर्मनी, पोलैंड) और एशिया (चीन, भारत) को होता था।

युद्ध के बाद, पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए और रूस से तेल की खरीदारी कम कर दी, जिससे रूस को नए बाजारों की खोज करनी पड़ी। इसके परिणामस्वरूप, कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें बढ़ गईं, जिससे ऊर्जा की लागत में भी वृद्धि हुई और वैश्विक मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ा। हालांकि, रूस से एक सकारात्मक खबर आई है। रूस ने अपनी रिफाइनरी क्षमताओं को बढ़ाते हुए पेट्रोल, डीजल और अन्य रिफाइनड उत्पादों की कीमतों में कटौती करने की योजना बनाई है। इससे वैश्विक स्तर पर इन उत्पादों की कीमतों में कमी आ सकती है, जो उपभोक्ताओं के लिए राहत का कारण बन सकता है।

वैश्विक स्थिरता के लिए आशा की किरण

यह कदम रूस की कोशिशों का हिस्सा है ताकि वह वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत कर सके और पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम कर सके। इसके अलावा, रूस ने यूक्रेन के साथ विवाद सुलझाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया है। रूस ने कहा है कि वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तैयार है, यदि तीन प्रमुख देश, जिनमें संभवतः अमेरिका, चीन, और एक प्रमुख यूरोपीय देश शामिल हो सकते हैं, इस विवाद को सुलझाने में मध्यस्थता करेंगे। यह पहल एक संभावित शांति समझौते की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकती है और वैश्विक स्थिरता के लिए आशा की किरण प्रदान कर सकती है।

इस प्रकार, यूक्रेन और रूस के खाद्य और ऊर्जा निर्यात में आए परिवर्तनों ने वैश्विक बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। यूक्रेन के खाद्य निर्यात में कमी और रूस के तेल निर्यात पर लगे प्रतिबंधों ने वैश्विक मुद्रास्फीति को प्रभावित किया, जबकि रूस के रिफाइनड उत्पादों की कीमतों में संभावित कमी और विवाद सुलझाने के लिए रूस की पेशकश ने वैश्विक ऊर्जा और राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की संभावना जताई है।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours