बड़े मीडिया की लापरवाही: धर्मेंद्र के निधन की झूठी खबर पर देशभर में मचा हड़कंप

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नई दिल्ली, 12 नवम्बर 2025 | ब्यूरो रिपोर्ट। भारतीय सिनेमा के मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र के निधन की खबर ने 11 नवम्बर की सुबह पूरे देश में हलचल मचा दी। लेकिन कुछ ही घंटों में यह स्पष्ट हो गया कि यह खबर पूरी तरह झूठी थी। चौंकाने वाली बात यह रही कि इस फेक न्यूज को कई बड़े और प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने बिना पुष्टि के प्रसारित कर दिया।

🔹 हमारी टीम की सच्चाई जांच: हेमा मालिनी और सनी देओल के अकाउंट्स से नहीं मिली पुष्टि

हमारे मीडिया हाउस को जब यह खबर मिली, तो हमने इसकी सच्चाई की जांच शुरू की। सबसे पहले हमारी टीम ने हेमा मालिनी के X (Twitter) अकाउंट को खंगाला — वहां धर्मेंद्र के निधन को लेकर कोई भी पोस्ट नहीं थी। इसके बाद हमने सनी देओल का आधिकारिक अकाउंट देखा, वहाँ भी ऐसी कोई जानकारी नहीं थी।

इसके बावजूद, कई प्रमुख मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने बिना किसी आधिकारिक पुष्टि के धर्मेंद्र के निधन की खबरें “ब्रेकिंग न्यूज” के रूप में चला दीं। न तो परिवार की ओर से कोई बयान आया था और न ही किसी अस्पताल या डॉक्टर ने इसकी पुष्टि की थी।

यह पूरा मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि मीडिया में सत्यापन की प्रक्रिया कमजोर पड़ चुकी है। सिर्फ “सबसे पहले खबर देने” की होड़ में पत्रकारिता का मूल सिद्धांत — सच्चाई और जिम्मेदारी — कहीं पीछे छूट गया है।

हमारे मीडिया प्लेटफॉर्म की टीम का मानना है कि यह घटना पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल खड़ा करती है। हम छोटे मीडिया संस्थान हैं, हमारे पास बड़े निवेशक या सरकारी विज्ञापन नहीं हैं, फिर भी हम हर खबर को प्रकाशित करने से पहले तथ्यों की जांच करते हैं।

लेकिन यह देखकर दुःख होता है कि जिन बड़े मीडिया हाउसों के पास संसाधन, टीम और तकनीक है, वही टीआरपी और क्लिकबेट की दौड़ में नैतिकता को भूल रहे हैं।

अब वक्त आ गया है कि मीडिया जगत आत्ममंथन करे। किसी के जीवन-मृत्यु जैसी संवेदनशील खबर को बिना पुष्टि के प्रसारित करना न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि पूरे मीडिया वर्ग की साख पर धब्बा है।

अगर बड़े मीडिया हाउस ऐसे ही चलते रहे, तो जनता का भरोसा धीरे-धीरे खत्म होता जाएगा — और यह पत्रकारिता के लिए सबसे बड़ा नुकसान होगा।


निष्कर्ष:

धर्मेंद्र के निधन की झूठी खबर ने दिखा दिया कि आज का मीडिया “सबसे तेज़” बनने की होड़ में “सबसे सही” होना भूल गया है। अब ज़रूरत है जिम्मेदार पत्रकारिता की, जो सच्चाई को प्राथमिकता दे, न कि सनसनी को।

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