Anti Sex Bed in Paris Olympic: पेरिस ओलंपिक में इस बार एक अनोखी स्थिति पैदा हो गई है. एक तरफ जहां एथलीटों को 2 लाख से अधिक कंडोम बांटे जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें सोने के लिए कार्डबोर्ड बेड दिए जा रहे हैं. इस विरोधाभासी स्थिति ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी हैं.

 “anti-sex” cardboard beds in Paris Olympic: पेरिस ओलंपिक में इस बार एक अनोखी चर्चा छिड़ी हुई है. यह चर्चा ओलंपिक खेलों और एथलीटों के प्रदर्शन से ज्यादा ओलंपिक विलेज में मिलने वाली सुविधाओं पर केंद्रित है. खेलों के महाकुंभ में पहुंचे एथलीटों को स्वागत किट दी गई, जिसमें पानी की बोतल, टॉयलेटरीज़ बैग, एक फोन और साथ ही कंडोम के पैकेट भी शामिल थे. 

इस बात को लेकर काफी चर्चा हो रही है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार लगभग 230,000 कंडोम बांटे गए हैं लेकिन असली विवाद की जड़ कहीं और है.

कार्डबोर्ड बेड का विरोध

टोक्यो ओलंपिक की तरह ही इस बार भी पेरिस में एथलीटों को सोने के लिए कार्डबोर्ड बेड दिए गए हैं. इन बेड्स को ‘एंटी-सेक्स’ बेड भी कहा जा रहा है. इसका मतलब है कि इन बेड्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इन पर ज्यादा शारीरिक गतिविधि करने पर ये टूट जाएं.

कैसा है एथलीट्स का रिएक्शन

दुनियाभर के एथलीट इन कार्डबोर्ड बेड्स से नाखुश हैं. खासकर ऑस्ट्रेलियाई एथलीटों ने इस पर काफी आपत्ति जताई है. सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें ऑस्ट्रेलियाई एथलीट इन बेड्स की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं. एक ऑस्ट्रेलियाई वाटर पोलो खिलाड़ी टिली किर्न्स ने एक वीडियो में बताया कि इन बेड्स पर सोना काफी मुश्किल है और उन्हें गद्दे के टॉपर भी दिए गए हैं.

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर लोग इस मुद्दे पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. कुछ लोग एथलीटों की सहानुभूति में हैं तो कुछ का मानना है कि इस तरह के कदम से अनुशासन बना रहता है.

आखिर क्यों हो रहा है विवाद

इस विवाद का मूल कारण यह है कि एथलीटों को एक तरफ तो कंडोम देकर संकेत दिया जा रहा है कि वे अपनी निजी जिंदगी का आनंद ले सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें ऐसे बेड दिए जा रहे हैं जो उनके लिए असुविधाजनक हैं. यह विरोधाभासी स्थिति एथलीटों को परेशान कर रही है.

इस पूरे मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं

क्या एथलीटों को इस तरह के व्यवहार का सामना करना पड़ना चाहिए?

क्या ओलंपिक खेलों में सिर्फ खेलों पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए या अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए?

क्या कार्डबोर्ड बेड का इस्तेमाल करना वाकई आवश्यक है?

यह मुद्दा ओलंपिक समिति के लिए एक बड़ी चुनौती है. उन्हें यह तय करना होगा कि वे इस मामले को कैसे संभालते हैं और एथलीटों की शिकायतों का समाधान कैसे करते हैं.

टोक्यो ओलंपिक में भी बनी थी ऐसी परिस्थिति

टोक्यो ओलंपिक में भी कार्डबोर्ड बेड का इस्तेमाल किया गया था और उस समय भी इस पर काफी विवाद हुआ था. पेरिस ओलंपिक में इस मुद्दे को दोबारा उठने से पता चलता है कि यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है.

पेरिस ओलंपिक में कंडोम और कार्डबोर्ड बेड का मुद्दा एक बार फिर से इस बात को उजागर करता है कि ओलंपिक खेल सिर्फ खेलों से कहीं ज्यादा हैं. यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक घटना भी है. इस तरह के मुद्दों पर चर्चा करना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचा जा सके.

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